बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है। यूपी में बीजेपी विरोधी दल महागठबंधन की कोशिशों में लगे हुए हैं लेकिन मायावती ने साफ-साफ कह दिया है कि अगर उनकी पार्टी को सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो उनकी पार्टी अकेले ही चुनाव लड़ेगी।
मायावती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हाल ही में जेल से रिहा हुए भीम आर्मी के संस्थापक चन्द्रशेखर आजाद के बुआ वाले बयान पर साफ-साफ कहा कि उनका किसी के साथ भाई-बहन या बुआ-भतीजे का रिश्ता नहीं है। बताते चलें कि जेल से छूटते ही आजाद ने मायावती की तारीफ की थी और उन्हें बुआ समान बताते हुए अपने समर्थकों से बीजेपी को उखाड़ फेंकने की अपील की है।
I have no relation with such people. I am only related to the common man, dalits, adivasis & people from backward castes: Former UP CM Mayawati on Bhim Army Chief Chandrashekhar referring to her as 'Buaji' (Aunt) pic.twitter.com/nWF5hVjUN5
— ANI UP (@ANINewsUP) September 16, 2018
मायावती ने आजाद की इसी टिप्पणी पर कहा कि उनका ऐसे लोगों से कोई रिश्ता नहीं है। मायावती ने कहा कि उनका किसी के साथ भाई-बहन या बुआ-भतीजे का रिश्ता नहीं है। उनका रिश्ता सिर्फ आम आदमी, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े लोगों से है। मायावती ने यहां पर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनके इस बयान से कहीं वो भी निशाने पर आ गए क्योंकि वो भी मायावती को बुआ कहते हैं।
We will agree to alliance anywhere & in any election only when we get a respectable share of seats, otherwise BSP will contest alone: Former UP CM Mayawati pic.twitter.com/iiFuuvde6h
— ANI UP (@ANINewsUP) September 16, 2018
बहरहाल मायावती अभी भी बीजेपी के खिलाफ यूपी में महागठबंधन के लिए तैयार हैं और यह समाजवादी पार्टी के लिए राहत की बात है। मायावती ने कहा कि वह किसी भी जगह और किसी भी चुनाव में गठबंधन के लिए तैयार हैं लेकिन यह तभी होगा जब हमें सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। ऐसा नहीं होता है तो बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी। मायावती ने बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन को जरूरी भी बताया। मायावती ने महंगाई, बेरोजगारी, नोटबंदी और राफेल डील को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।
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सवाल उठ रहा है कि मायावती ने इस तरह का बयान क्यों दिया तो उनके बयान को अखिलेश यादव पर सीटों के बंटवारे से पहले दबाव बनाने की रणनीति के तहत देखा जा रहा है। दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी का खाता भी नहीं खुल सका था और विधानसभा चुनाव में भी बीएसपी 19 सीट ही जीत सकी थी जबकि समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायकों की संख्या 48 है। इस आधार पर माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ज्यादा संख्या सीटों की मांग कर सकते हैं। मायावती ऐसी स्थिति में पहले ही दबाव बना रही हैं, साथ ही बीजेपी पर निशाना साध कर वह संदेश भी दे रही हैं कि वह गठबंधन से पीछे नहीं हट रही हैं।