केंद्र की मोदी सरकार के एक दांव से देशभर में वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election) को लेकर चर्चा तेज हो गई है। दरअसल, केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक 5 दिनों का विशेष सत्र बुलाया है और निर्देश दिया है कि इस दौरान सभी बड़े अधिकारी दिल्ली में ही रहें। पांच दिन का विशेष सत्र बुलाने के पीछे की मंशा क्या है, इसे लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। सियासी गलियारों में दावे किए जा रहे हैं कि इस दौरान सरकार कई महत्वपूर्ण बिल पास करा सकती है। एक दावा यह भी किया जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का बिल भी संसद में पेश हो सकता है।
बहरहाल केंद्र सरकार ने आज शुक्रवार (1 सितंबर) को वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation, One Election)के लिए एक कमेटी गठित की है, जो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में काम करेगी। कमेटी देश में एक साथ चुनाव की संभावनाओं का पता लगाएगी। विपक्षी दल वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा भर से भड़क उठे हैं और विरोध जता रहे हैं वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस पर खुशी जाहिर की है।
सीएम योगी ने किया वन नेशन वन इलेक्शन का सपोर्ट
शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ( CM Yogi Adityanath on One Nation, one Election) कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन एक अभिनंदनीय प्रयास है। हमें ये जानकर प्रसन्नता है कि वन नेशन वन इलेक्शन के लिए जो कमेटी बनी है उसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को बनाया गया है। इस अभिनव पहल के लिए मैं उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। ये आज की आवश्यकता है। बार-बार चुनाव विकास कार्यों में बाधा पैदा करती है। चुनाव की प्रक्रिया को कम से कम 1.5 महीने का समय लगता है। इसके लिए आवश्यक है कि लोकसभा विधानसभा और अन्य सभी प्रकार के चुनावों का हम एक साथ आयोजन करें।’
वन नेशन वन इलेक्शन का विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन का निर्णय संविधान विरोधी है। लोकतंत्र की हत्या कर राजतन्त्र की स्थापना का सरकार का कुत्सित प्रयास है। सरकार के इस निर्णय की घोर भर्त्सना करता हूं। लोकतंत्र को बचाने के लिये सभी को एकजुट हो जाना चाहिए, गफलत में रहोगे तों संविधान बदल देंगे।
बताते चलें कि 5 साल पहले देश के तत्कालीन राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) ने एक साथ चुनाव कराने पर सभी दलों के बीच बहस और आम सहमति की वकालत की थी। उन्होंने 29 जनवरी, 2018 को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था कि देश में शासन की स्थिति से अवगत नागरिक यहां किसी न किसी हिस्से में बार-बार होने वाले चुनावों को लेकर चिंतित हैं, जो अर्थव्यवस्था और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से न केवल मानव संसाधन पर भारी बोझ पड़ता है, बल्कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण विकास प्रक्रिया भी बाधित होती है। इसलिए एक साथ चुनाव कराने के विषय पर सतत बहस की जरूरत है और सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की आवश्यकता है।
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