कुछ साल पहले तक भारत के अच्छे दोस्तों में शामिल रहे कनाडा ने पिछले कुछ हफ्तों में वह दर्द दिया है, जिससे रिश्तों में अब बड़ी गांठ पड़ गई है। भारत के बार-बार कहने के बावजूद देश को तोड़ने की कोशिश करने वाले खालिस्तानी आतंकवादियों पर कनाडा सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। कनाडा में आपसी रंजिश में जिस खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की हत्या हुई उस मामले में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बेसिर-पैर के आरोप लगा रहे हैं और वह कोई सबूत नहीं दे रहे हैं। इससे साफ है कि उनकी मंशा ठीक नहीं है।
हाल में जो लिस्ट सामने आई हैं उससे पता चलता है कि कैसे करीब एक दर्जन गैंगस्टर कनाडा जाकर वहां पनाह लिए बैठे हैं। दरअसल, लोकतंत्र और मानवाधिकार के नाम पर कनाडा धीरे-धीरे वो करने लग गया जो पाकिस्तान 1947 से करता आ रहा है। भारत के खिलाफ नफरत फैलाने वाले और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों का वह अड्डा बन गया। अब एक खालिस्तानी आतंकी की आपसी रंजिश में हत्या हुई तो अलगाववादियों को खुश करने के लिए पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत से संबंधों को भी बेपटरी कर दिया। एक्सपर्ट, वहां की मीडिया और विपक्ष भी पूछ रहा है कि प्रूफ कहां है। इतना बड़ा संगीन आरोप लगाने से पहले सबूत तो सामने रखा होता। कुछ समय पहले ही उन्होंने आरोप दोहराया लेकिन सबूत नहीं दिया। दूसरी तरफ वहां खालिस्तानी भारतीय हिंदुओं को धमका रहे हैं, मिशनों पर हमले की धमकी दे रहे हैं और पीएम ट्रूडो इस बात पर मौनव्रत में चले जाते हैं।
भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में आई दरार के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि हरदीप सिंह निज्जर मौत के बाद अब तक कनाडा की तरफ से कोई ठोस जानकारी साझा नहीं की गई. उन्होंने बहुत सही कहा कि कनाडा आतंकवादियों, उग्रवादियों और संगठित अपराध के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है। हम चाहते हैं कि कनाडा की सरकार ऐसा ना करे। वह आतंकवाद के आरोपों का सामना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे या फिर उन्हें अदालत के कठघरे में खड़ा करने के लिए भारत भेजे।’ उन्होंने बताया है कि भारत ने कुछ वर्षों में कम से कम 20 से 25 लोगों से संबंधित प्रत्यर्पण अनुरोध या अन्य सहायता के लिए कनाडा से अनुरोध किया लेकिन कोई उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली।
कनाडा धीरे-धीरे पाकिस्तान के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है। जैसे पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों को बचाने के लिए आगे आती है वैसा ही कुछ कनाडा में दिख रहा है। हरदीप सिंह निज्जर कोई पहला कट्टरपंथी नहीं है जिसे बचाने के लिए कनाडा सरकार आगे आई है। खुफिया अधिकारियों की मानें तो एयर इंडिया के कनिष्क प्लेन बम धमाके के गुनहगार तलविंदर सिंह परमार को भी कनाडा सरकार ने इसी तरह से संरक्षण दिया था। उस समय जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो पीएम थे। इस तरह से देखें तो वह अपने पिता के ही नक्शेकदम पर चल रहे हैं।
कनाडा जिस रास्ते पर है उसमें भारत को और भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। फिलहाल भारत ने इस उत्तर अमेरिकी देश के लिए वीजा सेवाओं को यह कहते हुए निलंबित कर दिया गया कि भारतीय राजनयिक खालिस्तानी तत्वों से पैदा हुए खतरों के कारण अपना काम करने में असमर्थ हैं। कनाडा के राजनयिक भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं, ऐसे में दिल्ली में वह अपनी राजनयिक मौजूदगी घटाए। कनाडाई नागरिकों के लिए ई-वीजा सुविधा को भी निलंबित किया गया है। उन्हें तीसरे देशों से भी भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा आतंकवाद है और कनाडा से खालिस्तान समर्थक ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील भी की गई है।