ग्रेटर नोएडा. बड़े और नामी बिल्डर लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखा कर लाखों-करोड़ों के फ्लैट बेच रहे हैं लेकिन इतनी रकम खर्च करने के बाद भी बायर्स खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। ताजा मामला महागुन बिल्डर की ग्रेटर नोएडा सेक्टर 10 स्थित महागुन मंत्रा 2 सोसाइटी का है जहां लिफ्ट में आ रही बार-बार खराबी से रेजिडेंट्स दहशत में हैं।
महागुन मंत्रा 2 के गंगा टॉवर में लिफ्ट में फंसने की एक घटना सोमवार को ही हुईं। यहां रहनेवाले उमाशंकर माथुर ने बताया कि सोमवार 10 जुलाई को उनका परिवार और पड़ोस की महिलाएं (कुल 4 महिलाएं और दो बच्चे) लिफ्ट से नीचे उतर रहे थे। 24वीं मंजिल से आ रही लिफ्ट पॉवर कट होने से नीचे आकर दूसरी और तीसरी मंजिल के बीच फंस गई।
दो मिनट तक पॉवर आने का इंतजार करने के बाद लिफ्ट में फंसी महिलाओं ने मेंटेनेंस विभाग को इंटरकॉम से खबर की। सूचना पाकर सोसाइटी के मेंटेनेंस विभाग की रेस्क्यू टीम ने मैनुअली लिफ्ट का दरवाजा खोला और फंसे लोगों को बाहर निकालने का प्रयास शुरू किया। सबसे पहले बच्चों को खींच कर निकाला गया। इसके बाद महिलाएं को निकाला गया। इस दौरान यह सभी महिलाएं और बच्चे करीब 15 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे।
इस घटना से उमाशंकर का 5 साल का बेटा काफी डर गया। वह इतनी दहशत में आ गया है कि वह 24वें फ्लोर से सीढ़ियों के जरिए आने-जाने को तैयार है लेकिन लिफ्ट से जाने को तैयार नहीं।
लिफ्ट में उमाशंकर के परिवार के साथ फंसी 68 वर्षीय नीलम देवी ने बताया कि वह शुगर पेशेंट हैं। लिफ्ट में फंसे होने की वजह से उन्हें घबराहट होने लगी थी और काफी तेज पसीना आने लगा था। उन्होंने बताया कि संयोग से लिफ्ट में उनकी बहू और पड़ोसी भी थे, वरना वह किसी से मदद भी नहीं मांग पाती।
महागुन मंत्रा 2 सोसाइटी के गंगा टॉवर में ऑटिस (Otis) कंपनी की चार लिफ्ट लगी हुई हैं। कहने को इन लिफ्ट में एआरडी सिस्टम लगा हुआ है जो पॉवर कट होने की स्थिति में लिफ्ट को ठीक नीचे के फ्लोर पर ऑटोमैटिकली रोक देता है और लिफ्ट के दरवाजे खुल जाते हैं। हालांकि सोमवार को लिफ्ट में हुई दोनों ही घटनाओं में एआरडी या ऑटो रेस्क्यू सिस्टम ने काम नहीं किया।
सोसाइटी का मेंटेनेंस विभाग पॉवर कट होने पर 2 से 5 मिनट के भीतर ही जेनरेटर से बिजली आपूर्ति शुरू हो जाने और लिफ्ट चल जाने का दावा करता है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता। शिकायतों पर मंत्रा 2 के मेंटेनेंस विभाग के लोगों ने बताया कि लिफ्ट का एआरडी सिस्टम तभी काम करता है जब पॉवरकट के समय लिफ्ट किसी फ्लोर के ठीक सामने हो, अगर लिफ्ट दो फ्लोर के बीच में हो तो ऑटोसिस्टम काम नहीं करता। इस दलील से रेजिडेंट्स सहमत नहीं दिखे। उनका कहना था कि ऐसे सिस्टम का क्या फायदा, इस बात की क्या गारंटी है कि पॉवर कट के समय लिफ्ट किसी फ्लोर या दरवाजों के ठीक सामने ही हो।
रेजिडेंट्स ने बताया कि वे सोसाइटी के मेंटेनेंस विभाग के अलावा महागुन बिल्डर के अधिकारियों से भी कई बार शिकायत कर चुके हैं। इसके बावजूद बिल्डर की तरफ से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। रेजिडेंट हर्ष कुमार और अन्य ने बताया कि सोसाइटी में बिल्डर की ओर से सीएसएस सिस्टम नहीं लगाया गया है जिससे लिफ्ट को प्रॉपर वोल्टेज नहीं मिल पाता है और लिफ्ट बार-बार फंस जाती है।
महागुन मंत्रा 2 के अलावा इसी बिल्डर के मंत्रा 1 सोसाइटी में भी लिफ्ट के हालात कुछ ज्यादा अच्छे नहीं हैं। यहां भी पिछले महीने घर से मॉर्निंग वॉक के लिए निकले एक बुजुर्ग 10 मिनट तक 19वें फ्लोर पर लिफ्ट में फंसे रहे थे। ट्यूशन पढ़ कर घर लौट रही दो बच्चियां भी लिफ्ट में करीब 8 मिनट तक फंसी रही थीं। इस दौरान वह डर के मारे रोने-चिल्लाने लगीं थीं। हालात यह हो गई है कि अब महागुन मंत्रा की दोनों सोसाइटी में लिफ्ट में लोग अकेले जाने से डरने लगे हैं।
महागुन मंत्रा 2 सोसाइटी में कुल 5 टॉवर हैं जिनमें से गंगा और गायत्री टॉवर में 100 के करीब फ्लैट्स में लोग रह रहे हैं। इसके अलावा सिद्धि, सरस्वती और लग्जरी फ्लैट वाला टॉवर विलामेंट भी है। सोसाइटी के लोगों का कहना है कि बिल्डर की तरफ से बिना सुविधाओं और आधी-अधूरी तैयारी के साथ पजेशन दिया जा रहा है। बायर्स पर अधूरे फ्लैट्स लेने का दबाव भी बनाया जाता ताकि पेपर पर अधिकतम पजेशन दिखाया जा सके। बिल्डर का ध्यान बायर्स को सुविधाएं देने या इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर जरा भी नहीं है।
महागुन मंत्रा के रेजिडेंट्स का कहना था कि महागुन जैसे बिल्डर के नाम पर उन्होंने फ्लैट लिया था लेकिन यहां आने पर पता चला कि ‘नाम बड़ा और दर्शन छोटे’ वाले हालात हैं। उनका कहना था कि अपनी सारी जमा-पूंजी फ्लैट में खर्च कर देने के बाद अब वह फंस गए हैं क्योंकि ईएमआई के बोझ की वजह से कहीं और जाकर किराए पर रह भी नहीं सकते।
परेशान लोग एक बार फिर से महागुन बिल्डर के दफ्तर का घेराव करने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि लिफ्ट लगाने वाली कंपनी ऑटिस (Otis Elevator Co.) को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और लिफ्ट में आने वाली दिक्कत को दूर करना चाहिए। यह समस्या किस कमी की वजह से आ रही है इसकी जानकारी इस एलेवेटर कंपनी को रेजिडेंट्स को भी देनी चाहिए।
रेजिडेंट्स ने उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लाए जाने की अपनी पुरानी मांग को भी दोहराया। बताते चलें कि लिफ्ट में आए दिन होने वाले हादसों को लेकर ही पिछले दिनों गौतमबुद्ध नगर विकास समिति ने एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस पत्र को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय को यह पत्र भेज दिया था और राज्य सरकार को इस मसले पर उचित कदम उठाने के निर्देश दिए थे।
सोसाइटी में रहने वाले लोग उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लाए जाने की मांग अरसे से कर रहे हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के अलावा राज्य के तमाम बड़े शहरों में अब बहुमंजिला इमारतें धड़ल्ले से बन रही हैं। इन इमारतों में आने-जाने के लिए लिफ्ट या एलिवेटर का ही सहारा लेना होता है। लिफ्ट एक्ट से ही लिफ्ट को लेकर जिम्मेदारी तय की जा सकेगी।