लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार छात्रों से मुलाकात के एक कार्यक्रम में कहा कि समाज में हम सुशासन, लोकतंत्र जैसे शब्दों को सुनते हैं, लेकिन यदि समयबद्ध तरीके से लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है या न्याय सुगम और सस्ता नहीं है तो फिर यह सभी शब्द बेकार हो जाते हैं।
सीएम योगी ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान के पहले शिक्षण सत्र 2023-2024 के छात्रों से संवाद के दौरान यह बातें कही। मुख्यमंत्री का संस्थान के सभी शिक्षकों और छात्रों से परिचय कराया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम नए पाठ्यक्रम लेकर आएंगे। फॉरेंसिक से जुड़े प्रमुख संस्थानों के साथ समझौता पत्र (एमओयू) हो रहे हैं। अच्छे से अच्छे संकाय शिक्षकों का चयन किया जा रहा है। सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य फॉरेंसिक विज्ञान संस्थान की स्थापना की है। हमें वर्तमान में अपराध की प्रकृति को समझने, समाज को क्या चाहिए यह जानने की जरूरत है और इसलिए हमें इसके अनुरूप खुद को तैयार करने की जरूरत है। यह प्रसन्नता का विषय है कि आज पांच पाठयक्रमों के साथ पहला बैच शुरू हो रहा है।
सीएम योगी ने कहा कि समाज में हम गुड गवर्नेंस, डेमोक्रेसी जैसे शब्दों को सुनते हैं। यदि समयबद्ध तरीके से लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है, न्याय सुगम नहीं है, सस्ता नहीं है तो फिर यह सारे शब्द बेकार हो जाते हैं। आम जनमानस का विश्वास यदि हमारी संवैधानिक संस्थाओं से हटा, प्रशासनिक व्यवस्था से हटा तो ये किसी के हक में नहीं है। इस दृष्टि से हम लोगों को भी अपने आप को अपडेट करना होगा, समय के अनुरूप तैयार करना होगा। झारखंड का जामताड़ा और राष्ट्रीय राजधानी के करीब मेवात में साइबर क्राइम के ज्यादातर मामले पाए गए हैं। यहां के लोग अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाने के बजाए नकारात्मक दिशा की ओर ले गए, जिसका दुष्परिणाम यह है कि इस क्षेत्र में नए-नए तरीके अपनाए गए। इन क्षेत्रों के लिए लोगों का दृष्टिकोण बहुत नकारात्मक हो गया है। ये चीजें हमें बताती हैं कि लोगों में ऊर्जा थी, लेकिन उसे सकारात्मक दिशा में ले जाने की जो जरूरत थी, वो उन्हें नहीं मिल पाई या फिर उन्हें उस प्रकार का प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाया। समय के अनुरूप हमें भी अपने आप को तैयार करना होगा। हमें दो कदम आगे सोचने की आदत डालनी होगी।
फॉरेंसिक तकनीक की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में जब हमारी सरकार आई थी, तब साइबर अपराध की दर बढ़ती दिखाई दे रही थी। उस समय ही हमने कहा था कि इसे गंभीरता से लेना चाहिए। आज भी उसके विशेषज्ञों की कमी महसूस की जाती है। आज हम मानते हैं कि हर जनपद में और हर थाने में साइबर सहायता डेस्क होनी चाहिए।
साइबर अपराध से जुड़े लोगों से दो कदम आगे सोचने की आदत डालनी होगी। अपनी दृष्टि को विस्तार देना होगा। अगर आप किसी भी एंटी सोशल, एंटी नेशनल या लॉ एंड ऑर्डर को चुनौती देने वाले किसी भी तत्व से दो कदम आगे सोचने की सामर्थ्य रखते हैं तो आप उसको नियंत्रित कर पाएंगे। यदि दो कदम पीछे हैं तो वह आपको नियंत्रित कर लेगे। आपके सोचने की सामर्थ्य समाप्त कर देगा। इसके लिए निरंतर संस्थान को कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री ने संस्थान के छात्रों से कहा कि आने वाले समय में सिविल पुलिस की अपनी भूमिका होगी लेकिन उस भूमिका के साथ आपकी भूमिका को कोई नकार नहीं पाएगा। आपके बगैर उनकी भूमिका अधूरी होगी। यह रूल ऑफ लॉ और गुड गवर्नेंस को बनाए रखने के लिए आपकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके लिए आप लोग खुद को सौभाग्यशाली मानें कि इस संस्थान के फर्स्ट बैच से आप अपने करियर की शुरुआत करने जा रहे हैं। विश्वास है कि आप सभी लोग संस्थान के अनुशासन को मानते हैं। फोर्स में एक बात कही जाती है कि ट्रेनिंग के दौरान जितना परिश्रम करके पसीना बहाएगा उतना ही युद्धभूमि में उसे खून बहाने की नौबत नहीं आएगी। यानी युद्ध आपके हाथों में और आपकी मुट्ठी में होगा। परिश्रम के साथ बुद्धि और विवेक का भी प्रयोग करते हुए अपने दिमाग को खुला रखिए। इस क्षेत्र में व्यापक शोध की आवश्यकता होगी।