साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण रविवार रात शुरू हुआ, जिसे भारत के कई शहरों में देखा गया। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होकर 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त
होगा.

देशभर में दिखा ‘ब्लड मून’, लोगों ने किया दीदार
साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण रविवार रात शुरू हुआ, जिसे भारत के कई शहरों में देखा गया। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होकर 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। देश के विभिन्न हिस्सों जैसे चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता और जयपुर से चंद्र ग्रहण के सुंदर वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं। दिल्ली में स्पेस फाउंडेशन ने इस खगोलीय घटना को देखने के लिए हाई-रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरे और दूरबीनें लगाई थीं।
जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं, तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे वह एक रहस्यमय और गहरे लाल रंग का दिखाई देता है। यह अद्भुत दृश्य हजारों सालों से इंसानों को अचंभित करता आ रहा है।

लखनऊ में ब्लड मून
नासा के अनुसार, चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन होता है। यह दुर्लभ खगोलीय घटना पृथ्वी की छाया को चंद्रमा पर धीरे-धीरे सरकते हुए देखने का एक शानदार अवसर प्रदान करती है, जिससे चंद्रमा एक चमकती हुई, तांबे जैसी लाल डिस्क में बदल जाता है।
चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि उस तक पहुंचने वाली एकमात्र सूर्य की रोशनी “पृथ्वी के वायुमंडल से परावर्तित और बिखरी हुई” होती है। लाल प्रकाश की तरंगदैर्ध्य नीले प्रकाश की तुलना में लंबी होती है, इसलिए यह पृथ्वी के वायुमंडल से आसानी से गुजर जाती है, जबकि नीली तरंगें बिखर जाती हैं। यही वजह है कि चंद्रमा लाल और “खूनी” रंग का दिखाई देता है।
पितृपक्ष में पड़ने से खास है ये चंद्र ग्रहण
इस बार का चंद्र ग्रहण कई मायनों में खास था। यह 122 साल बाद पितृपक्ष के दौरान हुआ, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ गया। यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लगा। कुंभ राशि में राहु के साथ चंद्रमा की युति से यह ग्रहण काल बना। ज्योतिषियों के अनुसार, यह ग्रहण कई ग्रहों के परिवर्तन का योग बना रहा है, जिससे आने वाले 40 दिनों में विश्व में कई तरह की उथल-पुथल होने की संभावना है।
ग्रहण के दौरान और बाद में क्या करें
ग्रहण शुरू होने से पहले ही सूतक काल लगने के कारण उत्तराखंड में बदरीनाथ और केदारनाथ सहित देशभर के कई प्रमुख मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए थे। वाराणसी के गंगा घाट और हरिद्वार की हर की पौड़ी पर होने वाली शाम की गंगा आरती भी दोपहर में कर ली गई थी।
ग्रहण काल को भारतीय ज्योतिष में पर्व काल माना जाता है, जिसमें भगवान के मंत्र जाप, साधना और चिंतन से पुण्य कमाया जा सकता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद, यानी करीब 1:30 बजे के बाद स्नान करना आवश्यक होता है, क्योंकि स्नान न करने पर सूतक का दोष बना रहता है। ज्योतिष के मुताबिक, ग्रहण का दोष उतारने के लिए स्नान करना बेहद जरूरी है।