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ओमप्रकाश राजभर या महेंद्र राजभर, घोसी में कौन है राजभर समाज का बड़ा नेता?

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घोसी. मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में प्रचार का काम चरम पर है। एक-एक मतदाता तक अपनी बात पहुंचाने के लिए बड़े नेता भी जनचौपाल और नुक्कड़ सभाओं का सहारा ले रहे हैं। यह उपचुनाव भाजपा की नई सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि घोसी चुनाव में भाजपा गठबंधन को मिले वोट ही ओमप्रकाश राजभर की मंत्री की कुर्सी तय करेंगे।

ओमप्रकाश राजभर भी चुनाव प्रचार में जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं लेकिन उनके इस काम में बाधा बन रहे हैं कभी उनके ही सहयोगी रहे महेंद्र राजभर। महेंद्र राजभर अब सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी बना चुके हैं और उन्होंने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को समर्थन का ऐलान कर दिया है। सपा के सुधाकर सिंह को समर्थन का ऐलान करते हुए सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी के नेता डॉक्टर बलिराम राजभर ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के नेता अरविंद राजभर का पर्चा दारा सिंह चौहान और ओपी राजभर की वजह से खारिज हुआ।

घोसी विधानसभा क्षेत्र में राजभर वोटों की संख्या अच्छी-खासी है और महेंद्र राजभर भी जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। सुभासपा खेमे में रहते हुए 2017 में महेंद्र राजभर ने भाजपा सुभासपा गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में मुख्तार अंसारी के खिलाफ ताल ठोकी थी और तब पीएम मोदी ने उन्हें कटप्पा भी कहा था। इसके बाद से महेंद्र राजभर मऊ, घोसी और आसपास के इलाके में सक्रिय रहे हैं और अपनी ताकत बढ़ाते रहे हैं।

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घोसी में सुहेलदेव भारतीय स्वाभिमान पार्टी के नेताओं ने ओमप्रकाश राजभर की राजभर बिरादरी की ठेकेदारी खत्म कर देने की बात कही थी। जवाब में एक सभा के दौरान ओमप्रकाश राजभर ने महेंद्र राजभर को पियक्कड़ करार दिया। यानी अब इन दोनों राजभर नेताओं के बीच विवाद की खाई चौड़ी ही होती जा रही है।

ओपी राजभर यूपी के मंत्री रह चुके हैं। सबसे पहले उन्होंने ही राजभर समाज को एकजुट करने की कोशिश की। वह मुखर हैं और अपनी बात पूरी ताकत के साथ रखते हैं। उनके साथ सुभासपा का पूरा कैडर है लेकिन सुभासपा को खड़ा करने में जिन नेताओं का बड़ा योगदान रहा है उनमें महेंद्र राजभर भी एक हैं। सुभासपा को छोड़कर अब महेंद्र राजभर नई सियासी पहचान बनाने की कोशिश में हैं। अगर घोसी में सपा उम्मीदवार की जीत हो जाती है तो इससे निश्चित रूप से उनके कद में इजाफा होगा और वह यूपी की सियासत के अहम खिलाड़ी बन सकते हैं।

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