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फिसलते दलित वोटबैंक को समेटने के लिए भाजपा का महाअभियान कितना कारगर होगा?

BJP UP President Bhoopendra Chaudhary

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए सभी दलों ने कमर कस ली है। भाजपा का खासा ध्यान उत्तर प्रदेश पर है और वह यहां की सबी 80 सीटें जीतने का दावा कर रही है। इसी कड़ी में दलित वोटरों  को लुभाने के लिए भाजपा ने मास्टर प्लान तैयार किया है। इस प्लान के तहत भाजपा दलित बस्तियों तर पहुंच बनाने के लिए विशेष अभियान चलाएगी।

यूपी में दलित वोटबैंक पर बसपा का कब्जा माना जाता रहा है, हालांकि पिछले कुछ सालों से यह धारणा बदल रही है। बसपा के पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट तक सिमट जाने से पार्टी की छवि को खासा नुकसान पहुंचा है और यह भी माना जाने लगा है कि दलित वोटर अब नए ठिकाने और भागीदारी तलाश रहा है। यही वजह है कि यूपी की सभी पार्टियां दलित वोटों पर नजर गड़ाए हुए हैं चाहे वह भाजपा हो या फिर समाजवादी पार्टी।

दलित बस्तियों पर फोकस करने का मंत्र भाजपा को लखनऊ में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी दे चपुके हैं। दरअसल यूपी में दलितों की संख्या 22 प्रतिशत के करीब मानी जाती है। यह बड़ा वोटबैंक है और जिस तरफ झुक जाए नतीजों को उसी तरफ ले जाने की क्षमता रखता है। मायावती प्रमुख तौर पर इसी वर्ग की नुमाइंदगी करते हुए कई बार यूपी की सीएम रह चुकी है।

जानकारी के लिए बताते चलें कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इनमें से बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में हाथरस सीट समेत 14 सीटों पर जीत हासिल की थी। बहुजन समाज पार्टी ने दो और अपना दल ने एक सीट जीती थी। चुनाव नतीजों से साफ है कि तब दलित वर्ग बड़ी संख्या में भाजपा की ओर भी शिफ्ट हुआ।

भाजपा की परेशानी हाल की है। हाल में हुए घोसी विधानसभा उपचुनाव में बसपा के नहीं उतरने के बावजूद भाजपा की हार हुई और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई। इससे पहले मैनपुरी और खतौली में हुए उपचुनाव में भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। साफ है कि दलित वोट बैंक को सपा की तरफ जाने में भी परहेज नहीं है।

दूसरे यूपी में दलित वोटों को लुभाने में आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर की भी काफी चर्चा रहती है। हालांकि अभी तक चंद्रशेखर चुनावी कामयाबी से दूर ही हैं लेकिन दलित वर्ग के युवाओं में उनकी आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के प्रति काफी आकर्षण देखा जाता है। चंद्रशेखर का झुकाव समाजवादी पार्टी की तरफ है इसीलिए दलित वोटरों को लेकर बीजेपी की चिंता बढ़ी हुई है।

बहरहाल बात करें दलितों को जोड़ने के भाजपा के अभियान की तो 26 सितंबर से ही भाजपा दलित बस्ती संपर्क और संवाद अभियान शुरू हो चुका है। इसके तहत भाजपा के नेता और कार्यकर्ता दलित बस्तियों में जाकर लोगों से बात करेंगे, उनकी समस्याएं सुनेंगे और केंद्र-राज्य की तरफ से अनुसूचित जातियों के लिए चलाई जा रही  योजनाओंकी जानकारी देंगे।

दलित बस्तियों से संपर्क अभियान में भाजपा के सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इनकी सूची तैयार हो रही है। खबरों के मुताबिक फिलहाल यह अभियान 2 अक्टूबर तक चलेगा लेकिन इसे दिसंबर तक भी बढ़ाया जा सकता है।

यूपी बीजेपी की अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष रामचंद्र कन्नौजिया के मुताबिक भाजपा वंचित वर्ग के बीच काम करता रहा है लेकिन इस बार और सघनता से इसको करने की योजना है। उनका कहना था कि योजनाओं का लाभ सबसे ज्यादा वंचित वर्ग को ही मिला है. इस अभियान के तहत उनके बीच जा कर उनके दुख दर्द में शामिल होने की कोशिश होगी।

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