लखनऊ। स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव दो डबल झटका दिया है। पहले उन्होंने समाजवादी पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद छोड़ा और उसके बाद आज मंगलवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और एमएलसी पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव का पद छोड़ा था तो उन्होंने कहा था कि वे पार्टी के एक सदस्य के तौर पर कार्य करते रहेंगे। सपा के नेताओं की तरफ से उन्हें मनाने की कोशिशें भी हुईं। सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मनाने की कोशिश की लेकिन स्वामी नहीं माने।
मंगलवार को सपा और एमएलसी पद से इस्तीफा देते हुए स्वामी ने सपा प्रमुख को पत्र लिखा कि आपके नेतृत्व में सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करने का मौका मिला लेकिन 12 फरवरी को हुई वार्ता और फिर 13 फरवरी को भेजे पत्र पर किसी भी प्रकार की बातचीत की पहल नहीं होने से समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी त्याग-पत्र दे रहा हूं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर उनके साथ पार्टी में भेदभाव का आरोप लगाया था और राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया था। सपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को एमएलसी बनाया था लिहाजा मौर्य ने सपा की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने के साथ विधान परिषद सदस्य के पद से भी त्यागपत्र दे दिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कर बड़े उत्साह से समाजवादी पार्टी में गए थे। सपा को भी उनसे बड़ी उम्मीदें थीं लकिन नतीजे उम्मीदों के मुताबिक नहीं आए थे और स्वामी खुद भी चुनाव हार गए थे। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस के कुछ हिस्सों और राम मंदिर को लेकर ऐसे बयान आए जिससे सपा के तमाम नेता असहज महसूस कर रहे थे। खुद अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव को भी स्वामी के बयानों पर सफाई देनी पड़ रही थी।
हालात स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए भी अच्छे नहीं दिख रहे थे। उनकी अपनी जमीन तो खिसक ही गई थी कुछ राजनीतिक जानकारों के अनुसार उनके बयानों का असर बेटी संघमित्रा मौर्य की राजनीतिक करियर पर भी पड़ता दिख रहा था। संघमित्रा बदायूं से भाजपा सांसद हैं। बदायूं लोकसभा सीट से भाजपा ने अभी तक किसी प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। स्वामी के सपा में रहते कयास लग रहे कि संघमित्रा का टिकट इस बार टिकट कट सकता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे में बेटी के लिए बदायूं और बरेली की मिली-जुली आबादी वाली आंवला सीट चाहते थे लेकिन सपा ने सपा ने सोमवार को जारी लिस्ट में स्वामी के ही करीबी नीरज मौर्य को टिकट दे दिया। समझा जा रहा है कि इसी से नाराज स्वामी ने मंगलवार को पार्टी से पूरी तरह नाता तोड़ लिया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य अब किस तरफ रुख करेंगे इसका अभी तक कोई औपचारिक ऐलान नहीं है लेकिन उनकी तरफ से जो संकेत दिए गए हैं उनके मुताबिक वह नई राजनीतिक पार्टी बना सकते हैं। इसका ऐलान 22 फरवरी को किया जा सकता है।